आधुनिकता की माला – The Garland Of Modernity

आधुनिकता की माला

आधुनिकता के इस दौर में कई परिवर्तन स्वाभाविक हैं AI की इस दुनिया में भगवान के प्रति श्रद्धा आस्था में भी किस तरह परिवर्तन देखा जा सकता हैं बाकी इसे आधुनिकीकरण कहूं तो भी कोई अतिश्योक्ति नहीं हैं।

सबसे पहले मैने लाइन लिखीं “आधुनिकता की माला” हो सकता है आप में से कई समझ भी गए होंगे क्यूं आम परिवर्तन तो सभी देखते ही हैं और वो हो भी क्यू नहीं होना जायज़ हैं पहले कुछ सामान्य घटना का जिक्र कर लू फिर बताता हु क्या था ये “आधुनिकता की माला” वाला क्या किस्सा रहा था

किसी भी भगवान के लाइव दर्शन हम में से सबने किए ही होगे बाकी लोगों को अपने परिवारजनों को जो आने में असमर्थ रहे होंगे या दर्शन की कामना रही होगी उन्हें वीडियो कॉल पर दर्शन करवाते देखा ही होगा ये सब सामान्य हो रखे हैं यूट्यूब या और कहीं सोशल मीडिया पर ads एक ऐसी भी जो मेरे सामने आईं थी जिसमें ११,२१,५१₹ ऐसे कुछ भी रूपए सीधे भगवान के लड्डू भोग चढ़ाने और अपनी मनोकामना पूर्ण करने जैसी कुछ ad थीं और भी न जाने ऐसे कई नए नए तरीके निकले जाते है जो सीधे इंसान के भावात्मक जुड़ाव बना वो उन कामों को सफल बनाने में सक्षम रह जाते है जिस उद्देश्य से नया तरीका निकाल उन्होंने चलाया होगा ऐसे हजारों तरीके होंगे जिसमें इसी आधुनिकता की झलक देखने को मिली होगी

“आधुनिकता की माला” इस टाइटल का विचार तब आया मैं पाली से उदयपुर के लिए रोडवेज बस से निकला था मुझे सीट मिल रखी थी उसी बस में एक अंकल जी गैलरी में खड़े थे हाथ में स्मार्ट वॉच, कान में एयरबड्स लगाए हुवे हाथ में रिंग जैसी दिखने में पहनी हुई एक छोटा सा स्मार्ट यंत्र था वहीं देख मुझे समझ नहीं आया वो क्या चीज हैं एक बार लगा कान में एयरबड्स लगे थे तो सोचा ये मोबाइल का कोई संपर्क बैठने का होगा जिससे बटन दबाते ही म्यूजिक सुन रहे होंगे तो आगे पीछे करने का होगा फिर देखने पे लगा 1 सेकेंड में ही 2 से 3 दबाए जा रहे ऐसा तो नहीं हो सकता अगला गाना शुरू होने से पहले ही कई बार वापस से बटन दबा तो लगा ये और कुछ होगा ऐसे कई विचार मन में लिए सोच रहा था और जानने की भी उत्सुकता थी क्या चीज है आखिर…. मैं एक पुस्तक (दीवार में एक खिड़की रहती थी) पढ़ रहा था लेकिन मन वहां अटका था फिर किताब तो समेट ली ऐसे ही बैठे बैठे खिड़की से बाहर ताक रहा था तब बस रुकी और पास वाली सीट से जो थे उतरे और अंकल जी पास वाली सीट पर आ बैठे चलो अच्छा हुआ बात बात में पूछ ही लेंगे ऐसा सोचा ही था तब तक उन्होंने ने पूछ ही लिया कहा जाओगे आप, फिर ऐसे ही बात हुई थोड़ी बहुत तब मैं वो हाथ में पहनी रिंग (मुझे पता नहीं तब तक मैं तो यही समझ रहा था) देख रहा था दो बटन थे उसमे से एक को वो कुछ कुछ टाइम बाद दबाए जा रहे थे और छोटी सी स्क्रीन में टैली काउंट दिख रहा था तब 784 के आसपास कुछ आंकड़ा दिख रहा था नीचे के छोटा सा दूसरा बटन और था जो रिस्टार्ट लिखा हुआ दिख रहा था तब मैने ही पूछ लिया कि अंकल जी यार ये क्या चीज है तब पहले तो यही बोला की ये ऐसे ही ,दुबारा पूछा कि ये टैली काउंट का क्या हैं तो फिर बताया की ये भगवान का नाम कितनी बार लिया वो काउंट होता हैं कि ऐसे ही बैठे बैठे फोन चलाएंगे उससे अच्छा भगवान का नाम ले ले तब मैं समझ गया कि ये वही सिस्टम हैं माला के 108 मनके में जो व्यक्ति भगवान का नाम लेके करते है वो का वो है बस वह रिस्टार्ट 108 बार नाम लेने के बाद होता था और यहां कितनी बार लिया वो एक साथ ही दिखता लेकिन यहां भी 1000 की लिमिट के बाद फिर से शुरू तब लगा ये है माला वाली ही प्रक्रिया है बस दौर आधुनिकता वाला आ रखा है तब मैने इसे आधुनिक माला कहना सही समझा

मैं कोई इस चीजों की आलोचना नहीं कर रहा सब अपनी जगह सही है श्रद्धा भाव मन में होते है तरीके कोई से भी हो मैंने बहुत बार देखा भी था लेकिन ये घटना थोड़ी मेरे लिए विशेष रही जो पोस्ट के लिए टाइटल भी दे गई और सोचा चलते चलते कुछ ना कुछ लिख भी दिया जाए

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